Blog

शिशुओं में हीमोफीलिया: जानें इसके लक्षण और सावधानियाँ

शिशुओं में हीमोफीलिया क्या है?

  • हीमोफीलिया एक आनुवंशिक रक्त विकार (genetic blood disorder) है
  • जिसमें शरीर के पास पर्याप्त मात्रा में वह प्रोटीन नहीं होता जो रक्त को जमाने (clot) में मदद करता है।
  • इसका मतलब यह है कि यदि बच्चे को चोट लग जाए या अंदरूनी रक्तस्राव हो, तो उसका खून सामान्य रूप से नहीं जमता और खून बहता ही रहता है।
  • शिशुओं में यह बीमारी धीरे-धीरे स्पष्ट होती है, क्योंकि शुरुआती महीनों में बच्चे को ज़्यादा चोट या सर्जरी नहीं होती। लेकिन जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है और चलना-फिरना शुरू करता है, वैसे-वैसे इसके लक्षण सामने आने लगते हैं।

हीमोफीलिया के प्रकार

  1. हीमोफीलिया A – फैक्टर VIII की कमी
  2. हीमोफीलिया B – फैक्टर IX की कमी
    (दोनों ही शिशुओं में हो सकते हैं)

शिशुओं में हीमोफीलिया के लक्षण कैसे पहचानें?

1. अत्यधिक खून बहना (Excessive bleeding)

  • टीकाकरण के समय सुई की जगह से खून रुकने का नाम नहीं लेता
  • मुंह, मसूड़े या जीभ से बार-बार खून बहना
  • मामूली कट पर भी देर तक खून बहना

2. अंदरूनी रक्तस्राव (Internal Bleeding)

  • चोट लगने पर बाहर खून ना निकले लेकिन अंदर खून जमा हो जाए
  • बार-बार सूजे हुए जोड़ों (knee, elbow) का दिखना
  • शरीर पर नीले निशान (bruises) बार-बार बनना

3. सूजन और दर्द (Swelling & Pain)

  • बिना किसी कारण के हाथ, पैर या जोड़ों में सूजन
  • बच्चा बिना कारण रोता है, चलने-फिरने में असहजता दिखाता है
  • बार-बार एक ही जगह पर सूजन आना

4. सिर में चोट के बाद गंभीर लक्षण (Head Injury Concerns)

  • अगर बच्चे को सिर में हल्की चोट भी लगे, तो:
    • उल्टी आना
    • चक्कर
    • बेहोशी
    • शरीर का एक हिस्सा कमजोर होना
      ये सब अंदरूनी रक्तस्त्राव के संकेत हो सकते हैं, जो जानलेवा हो सकता है।

5. पेशाब या मल में खून (Blood in Urine or Stool)

  • डायपर बदलते समय पेशाब में गुलाबी रंग या मल में काला रंग दिखना
  • यह ब्लीडिंग का संकेत हो सकता है

हीमोफीलिया कैसे होता है?

यह बीमारी आमतौर पर वंशानुगत (hereditary) होती है। मतलब – यह जीन के ज़रिए माता-पिता से बच्चे को मिलती है। हीमोफीलिया अधिकतर लड़कों में पाया जाता है क्योंकि यह X chromosome से जुड़ी होती है।

माएं अक्सर इस बीमारी की कैरियर होती हैं और अपने बेटों को यह बीमारी दे सकती हैं, जबकि लड़कियां ज़्यादातर कैरियर ही रहती हैं और गंभीर लक्षण नहीं दिखातीं।

डायग्नोसिस कैसे होता है?

शिशु में यदि ऊपर बताए गए लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर कुछ खून की जांचें कर सकते हैं, जैसे:

  • क्लॉटिंग फैक्टर टेस्ट (Factor VIII या IX की कमी देखने के लिए)
  • PT और aPTT टेस्ट
  • जेनेटिक टेस्ट – परिवार में पहले से बीमारी है तो यह ज़रूरी है

शिशु को कब डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए?

  • अगर चोट के बाद खून नहीं रुक रहा हो
  • बार-बार शरीर पर नीले दाग पड़ रहे हों
  • बच्चा चलने या रेंगने में परेशानी महसूस कर रहा हो
  • मुँह या मसूड़ों से खून बार-बार निकल रहा हो
  • सिर में चोट लगी हो और बच्चा चुपचाप या सुस्त हो गया हो

इलाज क्या है?

1. फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी (Factor Replacement Therapy)

  • सबसे आम इलाज यही है
  • फैक्टर VIII या IX की इंजेक्शन द्वारा पूर्ति की जाती है

2. प्रोफाइलेक्सिस ट्रीटमेंट

  • जब बच्चा बड़ा होने लगे तो डॉक्टर नियमित रूप से फैक्टर देने की सलाह दे सकते हैं, ताकि खून बहने से पहले ही बचाव हो जाए

3. दर्द और सूजन के लिए दवाएं

  • पैरासिटामोल या ठंडे पैक दिए जा सकते हैं
  • लेकिन आईबूप्रोफेन या एस्पिरिन नहीं दी जाती, क्योंकि ये खून को और पतला कर देती हैं

घरेलू देखभाल कैसे करें?

  • बच्चे के खेलने की जगह सुरक्षित बनाएं, फर्श पर गद्दे रखें
  • नुकीले खिलौनों से दूर रखें
  • सिर पर हेलमेट और घुटनों में पैड पहनाना शुरू करें जब बच्चा चलना सीखे
  • डायपर बदलते समय मल या मूत्र में खून दिखे तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं

भविष्य में क्या सावधानियाँ रखनी चाहिए?

  • स्कूल, टीचर, रिश्तेदारों को बीमारी की जानकारी दें
  • टीकाकरण में डॉक्टर से कहें कि टीका मांस में गहराई से न लगाएं
  • डेंटल इलाज से पहले डॉक्टर को जानकारी दें
  • खून निकालने या कोई ऑपरेशन से पहले फैक्टर सप्लीमेंट देना ज़रूरी होता है

क्या हीमोफीलिया का इलाज संभव है?

हीमोफीलिया का अभी तक कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन:

  • Gene therapy पर रिसर्च चल रही है
  • सही समय पर फैक्टर देना, सुरक्षित माहौल और जागरूकता से बच्चा एक सामान्य जीवन जी सकता है

क्या यह बीमारी जानलेवा है?

यदि समय पर इलाज न मिले या किसी अंदरूनी रक्तस्राव को न पहचाना जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है। लेकिन अगर माता-पिता सतर्क रहें और सही इलाज कराएं, तो बच्चा एक स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page